Saturday, May 7, 2011

हस्तरेखा और उसका सच

हस्तरेखा और उसका सच





हम सभी लोग अपना और अपने प्रियजनों का भविष्य जानने के लिए हमेशा उत्सुक्त रहते है, कारण हम सभी को जीवन में अच्छे और बुरे समय से गुजरना पड़ता है !
भविष्य जानने के लिए विश्वभर में अनेक विद्याओ का प्रचलन है, उनमे से एक विद्या है हस्तरेखा शास्त्र !
भविष्य जानने के लिए ज्योतिष शास्त्र व हस्तरेखा शास्त्र का प्रचलन भारतवर्ष में प्राचीनकाल से है !
यदि किसी व्यक्ति के पास अपना जन्म समय नहीं है तो उसका भविष्य ज्योतिष शास्त्र से सही-सही बता पाना संभव नहीं है, व एक ही समय पर उत्पन्न दो जुड़वाँ भाइयो की जन्म कुंडली एक जैसी ही बनती है लेकिन उनका भाग्य एक-दूसरे से अलग होता है, लेकिन हस्तरेखा में व्यक्ति के जन्म समय जानने की जरूरत नहीं पड़ती है, व एक ही समय पर उत्पन्न दो जुड़वाँ भाइयो की हस्तरेखा भी एक जैसी नहीं होती है !
हस्तरेखा विज्ञान कोई भी व्यक्ति सीख सकता है, इसके लिए किसी भी विशेष समुदाय या वर्ग से होने की कोई आवश्यकता नहीं होती है, और ना ही इसके लिए किसी विशेष प्रकार की शिक्षा की आवश्यकता होती है ! कोई भी व्यक्ति निरंतर अभ्यास से अच्छा हस्तरेखा शास्त्री बन सकता है !
एक अच्छे हस्तरेखा शास्त्री की पहचान यही होती है की वो व्यक्ति की समस्या पर ध्यान दे और उसका निवारण करे ! एक अच्छे हस्तरेखा शास्त्री को व्यक्ति के मन में किसी भी तरह का भय उत्पन्न नहीं करना चाहिए !
हस्तरेखा शास्त्री को फलादेश करते समय व्यक्ति के लिंग, देश, काल और जाती/धर्म का ध्यान रखना चाहिए क्यों की व्यक्ति के जीवन पर इनका विशेष प्रभाव होता है !
आपने हस्तरेखा शास्त्र पर बहुत सारी पुस्तके पढ़ी होंगी लेकिन उन पुस्तकों को पढने के पश्चात आपके मन में कई सवाल उत्पन्न हुए होंगे जिनका उत्तर आप तलाश रहे होंगे ! सभी पुस्तकों में आपने पढ़ा होगा की यदि व्यक्ति के हाथ में भाग्य रेखा होती है तो व्यक्ति धनवान होता है ! यदि व्यक्ति के हाथ में जीवन रेखा छोटी हो तो व्यक्ति अल्पायु होता है ! यदि व्यक्ति के हाथ में एक से अधिक विवाह रेखा हो तो व्यक्ति के अनेक विवाह होते है या अनेक प्रेम सम्बन्ध होते है !
परन्तु जब आप विभिन्न व्यक्तियों के हाथ देखते है तो संशय में पड़ जाते है क्योकि गरीब व्यक्ति के हाथ में भी भाग्य रेखा होती है, अनेक विवाह रेखा होने पर भी व्यक्ति कुंवारा रह जाता है, छोटी जीवन रेखा होने पर भी व्यक्ति जीवित और स्वस्थ रहता है और इस कारणवश आपके मन में इस विद्या को लेकर ही संशय होने लगता है !
जब आप किसी विद्वान् हस्तरेखा शास्त्री से अपने मन में उत्पन्न इन संशयो को रखते है और वास्तविकता जानना चाहते है की ऐसा क्यों होता है जो कुछ पुस्तकों में लिखा होता है वह हमेशा सही क्यों नहीं होता है तब आपको एक ही जवाब मिलता है यह एक गुप्त विद्या है और इसके लिए अंतर्दृष्टि होना जरूरी है !
मै यहाँ पर एक बात स्पष्ट करना चाहता हूँ की कोई भी व्यक्ति एक पुस्तक पढ़ कर हस्तरेखा विज्ञान नहीं सीख सकता है कारण हस्तरेखा विज्ञान अथा सागर है, इसके लिए निरंतर अभ्यास की जरूरत होती है ! पुस्तक में सिर्फ हस्तरेखा के मूल को ही समझाया जा सकता है, उसकी जटीलता को नहीं ! हस्तरेखा की जटीलता को समझाने के लिए आपको स्वयं विभिन्न हाथो का निरिक्षण करना होगा !
मुझको बचपन से ही हस्तरेखा विज्ञान ने अपनी तरफ आकर्षित किया व मैंने बचपन से ही हस्तरेखा विज्ञान पर विभिन्न पुस्तके पढना शुरू कर दी व कुछ वर्षो पूर्व मैंने अंतरजाल पर भारतीय हस्तरेखा विज्ञान पर अपना मंच "भारतीय हस्तरेखा मंच" प्रारंभ किया !
हस्तरेखा की पुस्तक को पढने के पश्चात् आप सीधे ही फलादेश ना करने लगे बल्की पहले आप अपना और अपने परिजनों का हाथ देखे ताकि आप अपने ज्ञान को परख सके ! पुस्तक पढ़कर फलादेश न करे पहले अभ्यास करे !
- नितिन कुमार
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