Saturday, May 7, 2011

विवाह आयु की गणना का तरीका Indian Palmistry

विवाह आयु की गणना का तरीका

कनिष्का (छोटी ऊँगली) के तीसरे पर्व की जड़ में एक बिंदु लगा दे व दूसरा बिंदु हृदय रेखा पर सामने लगा दे अब इन दोनों बिन्दुओ को एक सीधी रेखा से खीचकर मिला दे ! अब आप इस दूरी को 60 वर्ष का मान लीजिये ! अब यदि इस दूरी के ठीक मध्य में एक बिंदु लगा दे तो वो 30 वर्ष की आयु होगी ! अब यदि मध्य बिंदु और हृदय रेखा की दूरी के ठीक मध्य एक और बिंदु लगा दिया जाय तो वो 15 वर्ष की आयु होगी ! इसी प्रकार यदि मध्य बिंदु और कनिष्का ऊँगली के जड़ के बिंदु की दूरी के ठीक मध्य में एक बिंदु लगा दिया जाय तो वो 45 वर्ष की आयु होगी ! इसी प्रकार आप बिंदु लगा कर एक-एक वर्ष का अनुमान निकाल सकते है !
अब आप बहुत आसानी से अनुमान लगा सकते है की व्यक्ति का विवाह किस आयु में होना चाहिए ! यदि विवाह रेखा मध्य बिंदु से नीचे है तो आप बता सकते है की विवाह 30 वर्ष की आयु से पहले होना चाहिए उसी प्रकार यदि विवाह रेखा मध्य बिंदु के ऊपर है तो आप बता सकते है की विवाह 30 वर्ष के पश्चात ही होगा !
यहाँ पर इस बात का ध्यान रखना होगा की विवाह रेखा वो ही मानी जायगी जो स्पष्ट और लम्बी हो ! आपको इसके लिए काफी हाथो का परीक्षण करना होगा क्योकि जैसा मैं पहले बता चुका हूँ की "हस्तरेखा का मुख्य सिद्धांत यह है की फलादेश करते समय व्यक्ति के लिंग, देश, काल और जाती/धर्म का ध्यान रखना आवश्यक है, क्यों की व्यक्ति के जीवन पर इनका विशेष प्रभाव होता है" ! आप खुद जानते है की विवाह को लेकर प्रत्येक देश, जाती, धर्म व समाज में विभिन्नता पाई जाती है !

हाथ में विवाह के अन्य योग भी होते है !

- नितिन कुमार


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