Tuesday, May 3, 2011

धनाड्य व दरिद्र योग

धनाड्य व दरिद्र योग


यदि हाथ में अच्छी भाग्यरेखा व साथ ही अच्छी सुर्य रेखा भी हो तो व्यक्ति निसंदेह अपने जीवन में सुख-सिमृधि का आनंद लेता है व इसके विपरित्त यदि हाथ में भाग्यरेखा व सुर्य रेखा का आभाव हो तो व्यक्ति को जीवन में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है !

धनाड्य व्यक्ति के हाथ में भाग्य रेखा का उदय चन्द्र/केतु पर्वत से होता है और वह शनि पर्वत पर निर्दोष समाप्त होती है ! भाग्य रेखा दोषमुक्त होनी चाहिये ना की कटी-फटी होनी चाहिए अर्थात उसको कोई भी अवरोध रेखा नहीं काटती हो ! भाग्य रेखा के साथ ही अच्छी निर्दोष सूर्य रेखा भी होनी चाहिए ! यदि हाथ में ऐसी भाग्य रेखा और सूर्य रेखा है तो निसंदेह व्यक्ति विलासिता का जीवन व्यतीत करने वाला होगा !

जो व्यक्ति जन्मकाल से अमीर होता है उसके अंगुष्ठ के प्रथम व दिव्तीय पर्व के मध्य आँख (द्वीप) बनी हुई होती है !

दरिद्र व्यक्ति के हाथ में भाग्य रेखा व सूर्य रेखा का प्राय: अभाव ही होता है ! दरिद्र व्यक्ति के हाथ में रेखाओ का जाल बना होता है ! जिस व्यक्ति के हाथ में रेखाओ का जाल बना हुआ होता है उस व्यक्ति को जीवन में बहुत कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है ! भाग्य रेखा व सूर्य रेखा प्रभावहीन हो जाती है ! रेखाओ के मकडजाल बन जाने के कारण जीवन में पग-पग पर बाधाये आती रहती है !

अर्थात, भाग्य रेखा व सूर्य रेखा जितनी निर्दोष व स्पष्ट होगी व्यक्ति को उतनी सफलता मिलेगी और भाग्यरेखा व सूर्य रेखा जितनी दोषयुक्त होगी व्यक्ति को उतनी ही कठिनाइया उठानी पड़ेगी !

-नितिन कुमार
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